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Jyoti Dhankhar

Abstract

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Jyoti Dhankhar

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मैं सब कर लूंगी

मैं सब कर लूंगी

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आदी हूं मैं गमों की 

सब सह ही जाऊंगी 


मुस्कुराऊंगी गाऊंगी 

भनक भी ना लगने दूंगी 


तोड़ने की कोशिश करोगे 

पर टूटूंगी फिर जुड़ जाऊंगी 


स्याह रातों के अंधेरे होंगे 

मैं आफताब सी चमक बिखेरूंगी


तुम छोड़ कर तोड़ कर चले जाओगे 

मैं यादों से बसर कर लूंगी 


तकिया बेशक भीगा होगा आंसुओं से

पर मैं मुस्कुराने का नाटक कर लूंगी 


पलट कर जो देखा करोगे तुम मुझे 

मैं आंख का पानी रोक लिया करूंगी 


समझ ना पाओगे की क्या हुआ मुझे 

मैं ठहाके लगा नजरंदाज तुमको किया करूंगी।


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