STORYMIRROR

V. Aaradhyaa

Tragedy

4.5  

V. Aaradhyaa

Tragedy

मैं जीवन देने में दक्ष हूँ

मैं जीवन देने में दक्ष हूँ

1 min
15


मैं सुनाऊं आज वृक्षवंश कथा।

सुन प्राणी अधिवासी व्यथा।।


खुद वृक्षदेव कथा सुनाता है।

संग नित बीत रही बताता है।।


मैं भी तुम सम एक प्राणी हूँ।

मैं भी एक सामान्य ज्ञानी हूँ।।


मैं, वैश्विक नज़र में वृक्ष हूँ।

आक्सीजन बनाने में दक्ष हूँ।।


मैं, स्वास्थ्य का मूल मन्त्र हूँ।

मैं, जीने का एक महायंत्र हूँ।। 


मैं, नित्यप्रति होता प्रयोग हूँ।

मैं, आक्सीजन का उद्योग हूँ।।


मैं, सब जीवों का सम्मान हूँ।

मैं, विधाता से सबकी जान हूँ।।


मै, नहीं धरा शुष्क है बंजर है। 

मैं, दर्द का भरा ज्यूँ समंदर है।।


मैं, मेरा परिवार तो कट जायेगा।

तेरा अस्तित्व भी मिट जाएगा।।


रे मानव !अब ना काट मुझे।

मिलेगा ना स्वच्छ घाट तुझे।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy