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Rashmi Singhal

Drama

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Rashmi Singhal

Drama

मैं गीत विरह का क्यूँ गाऊँ ?

मैं गीत विरह का क्यूँ गाऊँ ?

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चुभते शूलों से क्या ! कहूँ 

खिलते फूलों से क्या ! कहूँ 

पतझड़ क्या ! मेरी पीड़ा सुनेगा

सावन के झूलों से क्या !कहूँ,


अपनी गुन-गुन की धुन में

भँवरे क्या ! मेरा गीत सुनेंगें,

अपनी कल-कल की धुन में

झरने आखिर !

मेरे चित की क्या ! सुनेगें,


सूरज भी उग कर ढलेगा

चँदा भी आकर निकलेगा 

काली अधियारी रातों में

तारों का भी झुरमुट मिलेगा।


व्रत-जप-तप भी मैं क्या ! करूँ

मन्नत के धागे क्या ! बाधूँ

रहते हो तुम दिल में मेरे तो

जन्नत को फिर मैं क्या ! माँगू,


सब कुछ ही होगा समय पर

सभी तो होगें अपनी लय पर

फिर बताओ अपनी धुन को

किसको मैं आखिर ! समझाऊँ,


मैं, गीत विरह का क्यूँ गाऊँ ?


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