मैले कुचले हाथ......
मैले कुचले हाथ......


हिक़ारत भरी निगाहों से मत देख
मेरे इन मैले कुचले हाथों को तू
ये मजबूरी ग़रीबी भूख बदहाली
से लाचार होकर ऐसे हो गए है
मेरे हाथों मे जो हिस्सा आना चाहिए
वो ये सिस्टम और उसमें बैठे लोग
कब का निगल गए हैं तो फिर
बेहतर है कि उन से आस लगाने के
बजाय खुद की भूख को मिटाने के लिए
इनका मैला कुचला होना ही सही है
वो कहते हैं कि विकास हो रहा है तो उस
विकास में इन हाथों का भी योगदान है
मेरे मैले हाथ इस समाज का ही हिस्सा है
कब चाहते थे ये मैला होना लेकिन आप
लोगों का गंध साफ करते करते ये हो गए
कहीं न कहीं आप भी इनकी
इस दशा के जिम्मेदार हो
कभी कोशिश की है इन हाथों को
धुलाने की साफ करने की
नहीं न क्योंकिआप चाहते ही
नहीं हो यह साफ हो
अगर यह साफ हो गए तो फिर
गंध कौन उठाए गा
यह हाथ भी लिखना चाहते हैं
अभिव्यक्त करना चाहते हैं
किंतु इन्हे इस अधिकार से
वंचित कर दिया गया है
तुम लोगों ने ही गहरी खाई पाट दी है
इन हाथों और अपने हाथों के बीच में
तुम लोग ही जिम्मेदार हो
इनके मैला कुचला होने के तो फिर
हिक़ारत भरी निगाहों से मत देख
मेरे मैले कुचले इन हाथों को तू......