Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

निखिल कुमार अंजान

Tragedy

3  

निखिल कुमार अंजान

Tragedy

मैले कुचले हाथ......

मैले कुचले हाथ......

1 min
399


हिक़ारत भरी निगाहों से मत देख

मेरे इन मैले कुचले हाथों को तू

ये मजबूरी ग़रीबी भूख बदहाली

से लाचार होकर ऐसे हो गए है


मेरे हाथों मे जो हिस्सा आना चाहिए

वो ये सिस्टम और उसमें बैठे लोग

कब का निगल गए हैं तो फिर

बेहतर है कि उन से आस लगाने के

बजाय खुद की भूख को मिटाने के लिए

इनका मैला कुचला होना ही सही है


वो कहते हैं कि विकास हो रहा है तो उस 

विकास में इन हाथों का भी योगदान है

मेरे मैले हाथ इस समाज का ही हिस्सा है

कब चाहते थे ये मैला होना लेकिन आप

लोगों का गंध साफ करते करते ये हो गए


कहीं न कहीं आप भी इनकी

इस दशा के जिम्मेदार हो

कभी कोशिश की है इन हाथों को

धुलाने की साफ करने की

नहीं न क्योंकिआप चाहते ही

नहीं हो यह साफ हो

 

अगर यह साफ हो गए तो फिर

गंध कौन उठाए गा

यह हाथ भी लिखना चाहते हैं

अभिव्यक्त करना चाहते हैं

किंतु इन्हे इस अधिकार से

वंचित कर दिया गया है


तुम लोगों ने ही गहरी खाई पाट दी है

इन हाथों और अपने हाथों के बीच में

तुम लोग ही जिम्मेदार हो 

इनके मैला कुचला होने के तो फिर

हिक़ारत भरी निगाहों से मत देख

मेरे मैले कुचले इन हाथों को तू......



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy