मै हूँ एक नारी
मै हूँ एक नारी
तुम अम्बर मै धरती तुम्हारी
फिर भी क्यूँ आभारी
बस इक दिन नही हो सकता मेरा
ये सारी कायनात है नारी,
सर्जनता ही मेरा धरम
अपने सर्जन पर मै वारी,
ममता का सागर है मुझमे
ममता की मै भी अधिकारी,
मत करो पूजा भले ही
परकोख मे ही न जाउँ मारी,
मत करो तार मेरा वजूद
मेरी लाज है बहुत प्यारी,
कृष्न तुम अगर हो मेरे
मै भी हूं राधा तुम्हारी,
मेरे राम अगर हो तुम
मै हू रामायण तुम्हारी,
आज का दिन नही बस मेरा
ये सारी कायनात है नारी,
नर गर तुम हो नारायण
लक्ष्मी हूं मै तुम्हारी,
फिर भी क्यूं आभारी!
