STORYMIRROR

अपर्णा गुप्ता

Others

3  

अपर्णा गुप्ता

Others

अकेला

अकेला

1 min
201

माना कि अब कोई 

तलबगार ही नहीं है 

तबियत का कोई 

तीमारदार ही नहीं है 

मरने से पहले 

मरना नहीं चाहता

तू न कहना तुझे 

मुझसे प्यार ही नहीं है


उम्र गुजारी जिस 

घर में रहकर

जिसके दरींचे 

हवादार ही नहीं है 

सीखा था मैने ही 

सबके लिए जीना

अब कोई मेरा 

तलबगार ही नहीं है 


बनकर रहा परछाईं 

ताउम्र जिसकी मैं 

बैठा हूँ तन्हा यहाँ 

साया दीवार ही नहीं है


Rate this content
Log in