मातृभाषा
मातृभाषा
हिन्दी दिवस
हिन्दी पखवाड़ा
हिन्दी माह
मनाते आ रहे हैं
आगे भी मनाते जायेंगें।
क्या सच में ?
मन से ?
दिल से ?
या मज़बूरी ?
बहुत बार
बार- बार
मन टटोलती हूँ
सोच में डूब जाती हूँ।
अपने ही देश में
अपनी ही भाषा
मातृभाषा
आज मात्रभाषा हो गई !
हालत यह
प्रचार व प्रसार के लिए
दिन, हफ्ता, महीना
तय कर लगाया जाता है,
अंग्रेजी की निंदा कर
मन बहलाया जाता है।
अंग्रेजी की बुराई से
गर्वित हो जाते हैं
हिन्दी बोलने में
कतराते हैं
क्यों.........?
भाषा ज्ञान बढ़ाती है
हमें अपनी मातृभाषा का
सम्मान करना चाहिए
वो भी दिल से।
मुझे लगता है हिन्दी सीखना
सबसे सरल है
क्योंकि इसमें
वही लिखा जाता है
जैसा उच्चारण होता है।
गलती तब होती है
जब मातृभाषा समझ
हम ध्यान नहीं देते।
जरूरत है अब
हिन्दी को दिल से
अपनाने की !
अगर ऐसा हो जाये दोस्तो !
तो हिन्द की शान
हिन्दुस्तान का मान
हिन्दी केवल भारत की ही नहीं
विश्व के माथे की बन जायेगी बिंदी।