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VIVEK ROUSHAN

Tragedy

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VIVEK ROUSHAN

Tragedy

मार डालेगी हमसफ़र की ख़ामोशी

मार डालेगी हमसफ़र की ख़ामोशी

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कितनी जानलेवा है ये शहर की ख़ामोशी 

मार डालेगी मुझे हमसफ़र की ख़ामोशी।


यूँ ही तन्हा फिरता रहता हूँ अपनी राहों में

अच्छी नहीं लगती राहबर की ख़ामोशी। 


जिनके चले जाने से बहार भी चली गई 

हैराँ हैं देखकर वो मेरे घर की ख़ामोशी। 


निगाहों से सब देखना और कुछ न कहना 

शोर करती है दिल में उस नज़र की ख़ामोशी। 


हम ने चाहा था जिसे खुद से भी जियादा 

उसी ने दे दी मुझे उम्र-भर की ख़ामोशी। 


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