माँ
माँ
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अलार्म के थपेड़ों से जगाती हूँ।
माँ तेरी प्यारी पुकार की याद आती है।
चोटी करनी आती नहीं।
टेढ़ी -मेढ़ी बाँध लेतीँ हूँ।
सब हंसते-चिढ़ाते है।
तंग आकर बाल कटवा लिए है।
झगड़ा हो जाता है मेरा।
कोन मुझे बहलाएं।
गुस्सा मन में रह जाता है।
फिर खाना केसे खाया ?
आगे बढ़ने से डरती हूँ।
कि कहीं चूक न हो जाए
अंधेरे में चलने से डरती हूँ।
कि कहीं गिर न जाऊं।
वही तेरे हाथ थामने की याद आती है।
और तेरे चिराग बनकर राह बाटने
की याद आती है।
थकान की थपकियों से नींदिया मुझे
आ जाती है।
माँ तेरी हौली थपकियों की बहुत
याद आती है।