मां
मां


मां के बारे में क्या लिखूं, वो खुद ही एक पूरी किताब है,
मां की ममता अनमोल है, जिसका नहीं कोई हिसाब है।
कितनी रातें जगकर मां ने काटी हैं, बिना खिलाए बच्चों
को मां एक निवाला भी नहीं खाती हैं।
तकलीफ होती जब बच्चों को तो मां बेचैन हो जाती है
सुख देकर बच्चों को वो खुद तकलीफ सह जाती है।
मां ममता की मूरत, प्यार की एक ठंडी छाया है,
हर सुख दुख में मैंने साथ उनका पाया है।
मां का प्यार निर्मल, निस्वार्थ और निश्छल है,
जिसके सर पे मां का हाथ उसका भविष्य उज्जवल है
लिखो मां के बारे में तो शब्द कम पड़ जायेगा,
जीवन भर भी कोई मां का क़र्ज़ चुका न पाएगा।