जिंदगी की राह
जिंदगी की राह
क्या होगा जीवन में
ये कोई जानता नहीं
तोड़ कर दिल
अक्सर छोड़ देता है
गलती से मिल जाए
भी तो साहब वह
पहचानता नहीं।
बाजारीकरण की नीति है।
जीवन जैसे तैसे बीती है।
ना राग ना द्वेष।
ना हास ना परिहास।
सिर्फ़ और सिर्फ़
तिज़ारत है।
विस्वास प्रेम सब नदारत है।
जीवन के आदर्शों की उफान पर
ये लोगों की ऊंची ऊंची उड़ानें हैं।
बस जन्म लिए जा रहें हैं
और जिए जा रहें हैं।
डर कर जीना भी क्या जीना यारों
ये कायरों की निशानी है।
बात मोहब्बत की दूर तलक
पहुंचनी है।
है ये मोहब्बत के रास्ते भी अजीब
पर चलकर इसपर राहें वफ़ा की
खुद बनानी है।
है ये मोहब्बत कोई आसान काम नहीं यारों
हमें जितनी हैं राहें खुद बनानी हैं।
जीवन की इक नई कहानी बनानी है।
जीवन की राहें खुद बनानी हैं।
