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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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सिर्फ सवाल ही सवाल

सिर्फ सवाल ही सवाल

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वो क्या समझेंगें मेरी बातों को

जो ना कभी समझें मेरी जज़्बातों को ।

वो चैन से सोते होंगें दिल तोड़ कर मेरा ,

हम अक्सर तारे गिनते रहते रातों को।

शिकवे गिले सब उनकी ईनायत है

उफ ये जुदाई बस कयामत हीं कयामत है।

क्या कहें की अब क्या दिल का हाल है।

सोते जागते बस उनका ख्याल है।

जिंदगी बड़ी बेतरतीब सी कट रही है

बदल रहा चाल ढाल है।

ये इश्क़ मोहब्बत अपने बस की बात नहीं

हम ठहरे सीधे साधे और इसमें तो

सिर्फ़ बवाल हीं बवाल है।

समस्याओं का हल नहीं

सिर्फ़ सवाल ही सवाल है।

सिर्फ़ सवाल ही सवाल है


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