माँ सरस्वती
माँ सरस्वती
हे हंस वाहिनी माता
तेरे शरण में जो भी आता
पुष्प चढ़ा कर करें नमन हम
आशीर्वाद् से छूं पाएं गगन हम
सुर की देवी तू कहलाती
हर बच्चे के मन को भाती
छात्र करे पूजन सब तेरे
दुख दूर हो जाये मेरे
हो जाये परिपूर्ण ज्ञान से
करे अध्ययन वो बड़े ध्यान से
तेरी वीणा से जो निकले संगीत
मन को मुग्ध करे वो गीत
ज्ञान दायिनी तू वीणा वादिनी
चन्द्र कमल स्वेत वस्त्र धारिनी
अम्ब विमल मति दे अज्ञानी को
मधुर बनाये शख्त वाणी को
बसंत ऋतु में तू आती है
छात्रों के हृदय बस जाती है
आशीर्वचनों से माँ तेरे
सबकी नैया पार लग जाती है
