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Neetu Tyagi

Tragedy

4  

Neetu Tyagi

Tragedy

मां मैं स्वीकार करती हूं

मां मैं स्वीकार करती हूं

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मां मैं स्वीकार करती हूं

कि मैं तुम्हारी अपराधी हूं

अब जब तुम नहीं हो तो 

याद आते हैं वो पल

जब तुम कहती थी


मन नहीं भरा

थोड़े दिन और रुक जाओ

तब मैं गिनाती थी ढेरों काम

बच्चों की पढ़ाई का बहाना था

पति को घर का बना खाना खिलाना था


बचपन में जब तुम्हें देखती थी व्यस्त

तब कभी नहीं आया था मन में

तुम्हारे काम में कुछ हाथ बटाऊं

तुम्हें समझूं और तुमसे प्यार जताऊं

तुम्हारी डांट को तरसते हैं कान 

और तुम्हारी हंसती हुई आंखों को 

मैं स्वयं में ढूंढती रहती हूं 


अब जब तुम नहीं हो

तब मैं स्वीकार करती हूं

काश , मैं तुम्हें थोड़ा और समझ पाती

तुम्हारे सामने ही तुम्हें महसूस कर पाती

काश, मैं तुम्हें थोड़ा और समय दे पाती


तुम्हारी बातें थोड़ा और सुन पाती

तुम्हे कुछ अपने दुख सुख सुना पाती

तुम्हारे सामने ही अपनी सारी गलतियां

मानती और तुम्हें जी भरकर जी पाती।।


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