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Neetu Tyagi

Others

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Neetu Tyagi

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माँ तुम्हारी हँसी

माँ तुम्हारी हँसी

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मां तुम्हारी बिना रंग रोगन वाली बातें 

भर देती थी मन में बहुत सा जोश ।

और तुम्हारी दबी हुई हंसी 

खुलकर करती थी खुशी का आगाज ।

तुम्हारे गुस्से में थी जो मिठास 

जून की दोपहरी में मिल गई हो जैसे सांझ ।

अनसुनी रह गई थी जो तुम्हारी कुछ आवाज

आती हैं याद जैसे कुछ अनछुए साज ।

कभी अपने ही लहजे में सुनती हूं 

प्रतिध्वनित तुम्हारे वो खोये अहसास ।

समय के उस छोर पर मिलोगी जब 

पूछूंगी तुमसे तुम होना ना नाराज ।

क्या उस पार भी तुम्हें पता था ?

मैं तुम जैसी ही बन गई धीरे धीरे 

तुम सा चेहरा और तुम्हारे से जज़्बात।


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