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Supriya Bikki Gupta

Classics

4.2  

Supriya Bikki Gupta

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माँ की परिभाषा

माँ की परिभाषा

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प्यार भरी सूरत कहो या

ममता की मूरत, 

सागर हैं जिसकी आँखों में, 

प्यार हैं जिसकी बातों में, 

जिसका साया रहे हर पल, 


न हो कभी जो आँखों से ओझल, 

हर कमी को जो पूरा हैं करती, 

आगे बढ़ने को सदा हैं कहती, 

सबकी माँ ऐसी ही होती, 


हमसे उम्मीदें करती हैं हजार, 

बदले में देती जो प्यार अपार, 

सच्ची राह पे सिखाती हैं चलना, 


कहती हमसे झूठ से न डरना, 

एक प्यार की होती हैं वह भाषा, 

दे सकता नहीं कोई

माँ की परिभाषा।


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