अजनबी
अजनबी
एक दिन अचानक मुलाकात हुई,
वो काली सर्द रात थी,
उस दिन बहुत भली तेरी बात लगी,
बहुत याद आती है आज भी
वो सर्दी वाली हसीन रात !
अचानक मिले थे हम तुम,
बस के इंतजार में खड़े थे,
वहाँ सिर्फ हम और तुम ही थे!
बस के इंतजार में हो रही थी देर !
तूने भाँप ली थी मेरी परेशानी,
फिर भरोसा मुझे दिलाया था,
आटो से छोड़ कर आएगा मुझे
मेरे घर तक, तभी जाएगा अपने घर!
उस काली सर्द रात में तू मेरा सहारा बना,
मैं महफूज पहुँच गई थी अपने घर!
तेरा शुक्रिया अदा किया तो लगा
कि तू कोई #अजनबी नहीं मेरा अपना है !
हर रात हमारी वैसी ही मुलाकात होने लगी।
आफिस से लौटते हुए मिल बैठते थे साथ!
और एक काली सर्द रात को ही तूने
किया फिर मुझसे इजहार ए मोहब्बत !
और एक काली सर्द रात को ही
हमने अपनी मुलाकात को सुंदर अंजाम दिया।
मैं तो नहीं भूली वो मुलाकातें, याद है न तुम्हें भी पिया !