माँ के संस्कारों का सम्मान
माँ के संस्कारों का सम्मान
ये नव जीवन पाया तुझसे माँ
तुझ पर अर्पित पावन सुमन माँ
तुझ पर क्या लिखूँ कविता माँ
तू स्वयं ही जीवन में परिपूर्ण माँ
तेरी क्या उपमा दूँ मैं इस संसार को
तुझी से पाया अनमोल प्यार है।
कोशिश यही है सदैव मेरी माँ
तेरे दिये संस्कारों को प्रकाश रूपी
दीपक से सर्वत्र प्रकाशित कर पाऊँ।
तेरे ही सिखाए सत्य के पथ पर
अपने बच्चों को भी राह दिखा पाऊँ।
तेरा भोलापन याद रहेगा माँ
मेरा अंतर्मन इसका है गवाह माँ।
माँ तेरी ही अभिलाषा से
देश के शहीदों को नमन करते हैं।
तेरे ही आशीर्वाद से
जीवन में सफल होते हैं।
इतना साहस दे माँ मुझे इस जीवन में
निडरता से अन्याय का विरोध कर पाऊँ।
और आभार करूँ सभ्यता का
जिसके सहयोग से,
संस्कारों का सम्मान होगा माँ
साथ ही रोशन होगा नाम।
