माँ का रुतबा
माँ का रुतबा
नहीं मिलती मुझे मोहब्बत अब मुझमें,
न रही बोझ उठाने की हिम्मत अब मुझमें।
गिर गया हूँ बेहोश होकर अपनी कब्र में,
न रही ज़रा भी उठने की ताकत अब मुझमें।
क्यूँ वहम पालूँ कि वो आयेगा मौत से पहले,
न रही उसे लुभाने को नज़ाकत अब मुझमें।
सुकूँ से सो जाऊँगा अब तेरे जाने के बाद,
न रही मुझे रुलाने की शिकायत अब मुझमें।
खेलो खूब पुराने खिलौने बदलने का खेल,
ना रही खेल खेलने की हसरत अब मुझमें।
अब ले चलो फ़रिश्तो मुझे अपनी पनाह में,
बेजान हूँ, ना रही कोई हरकत अब मुझमें।