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Zeetu Bagarty

Fantasy Inspirational

4  

Zeetu Bagarty

Fantasy Inspirational

माँ का प्यार

माँ का प्यार

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शब्द हैं थोड़े उनके आगे ……

कैसे उन्हें पिरोऊँ मैं ?

“माँ ” की ममता सोच कर देखूँ तो …..

बिन आँसू के रोऊँ मैं ।

जिसने ये संसार बनाया ,

उनके स्नेह से मन हर्षाया,

उनकी गोद में सर रखकर ….

बिन नींदो के सोऊँ मैं ।

शब्द हैं थोड़े उनके आगे ……

कैसे उन्हें पिरोऊँ मैं ?

माँ” का प्यार है ऐसा निराला ,

दुश्मन का सर भी है झुक डाला ,

ऐसी “माँ ” का लाल बनकर ,

बिन हीरे के दमकूं मैं ।

शब्द हैं थोड़े उनके आगे ……

कैसे उन्हें पिरोऊँ मैं 

जीवन पथ की कठिन डगरिया,

पार हुई पकड़ “माँ” की उंगलियाँ ,

डूब जाऊँ तो भी नहीं है गम अब ….

बिन पतवार की नईया खेमे में 

शब्द हैं थोड़े उनके आगे ……

कैसे उन्हें पिरोऊँ मैं ?

“माँ” की भक्ति में हैं चारों धाम ,

तन-मन में बसा हो जब उनका नाम ,

प्राण को निकलते हुए न हो दर्द ,

बिन मौत के साँसों को रोकूँ मैं ।

शब्द हैं थोड़े उनके आगे ……

कैसे उन्हें पिरोऊँ मैं ?



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