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Bhawna Shastri

Abstract Tragedy

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Bhawna Shastri

Abstract Tragedy

लक्षिता

लक्षिता

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बगिया में थी एक कली खिली,

प्यारी सी लगती बड़ी भली,

खुश होकर वो सबसे मिलती,

हँसते हँसते करतब करती ।

वो अंबर छूना चाहती थी, 

तारों को पकड़ना चाहती थी ।

इस क्षण भंगुर से जीवन में,

वो सबकुछ करना चाहती थी,

कोई लक्ष्य नहीं साधा उसने,

ऐसी वह स्वयं लक्षिता थी,

जीवन को भी जो त्याग गई

अल्पायु ही वो दिव्य कलिका थी।



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