चल मुसाफ़िर
चल मुसाफ़िर
जीवन की इस कठिन डगर पर,
पग पग आगे बढ़ता चल,
ना रुक, ना डर कभी किसी से,
सत्य की राह पर बढ़ता चल,
मंजिल तेरी दूर नहीं,
तू काँटों से ना घबराना,
ईश का है अवलम्ब तुझे,
हर मुश्किल को ये समझाना ,
तू आशा और विश्वास भरा,
तुझसे ही उम्मीदें जागेंगी,
तेरी हिम्मत को देख मुसाफ़िर
पथ की तकलीफें भागेंगी,
तू स्वामी नहीं, तू संत नहीं,
बस सच्चा एक पथिक बन जा,
अपने लक्ष्य के हर कंटक को,
दूर हटा और पुष्प खिला ।।
