फागुन
फागुन
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आया फागुन रंग- रंगीला,
चहुँ दिस मस्ती छाई।
रंगो की वर्षा में लगती,
अम्बर धरा नहाई।
हर नारी है बनी राधिका,
हर नर बना कन्हाई।
उड़ता जाए अबिर,गुलाल,
जल भर चले पिचकारी।
गुझिया की खुशबू से महके,
घर आँगन गलियारी।
फागुन मेरे देश का ऐसा,
देखे दुनिया सारी।
ऐसा है ये पर्व सुनहरा,
देता सीख है सच्ची।
भेद भुलाकर एक बने सब,
बात यही है अच्छी।
तेरा फागुन, मेरा फागुन,
सबका फागुन आया।
जीवन में उत्साह और,
खुशियों का रंग छाया।
