ले चल मुझे मेरे गांव
ले चल मुझे मेरे गांव
प्यारे पूरवर्ईया ले चल मुझे मेरे गांव
इस शहर से मेरा अब तो जी भर गया।
सोंचा था कमाऊंगा दौलत बड़ी
मिल सका ना मुझे चैन की दो घड़ी
भागते मैं रहा थक गए मेरे पांव
इस शहर से मेरा अब तो जी भर गया।
है बड़ी गर्दिशें आंखो में है नमी
रास आया ना मुझको ये तेरी जमीं
दे दे मुझको वही मेरे पीपल का छांव
इस शहर से मेरा अब तो जी भर गया।