लड़कियां....कुछ खास कुछ अलग
लड़कियां....कुछ खास कुछ अलग
सुनो कुछ खास कुछ अलग हो तुम
अकेली नहीं अनोखी हो तुम
भीड़ का बस हिस्सा नहीं
भीड़ में खुद की पहचान हो तुम
अपनी उड़ान से सपने साकार करती तुम
गर कभी पलकें भीगती और बिखरती तुम
संभलने का हौसला रखती तुम
कोशिशों , हौसलों की मिसाल हो तुम....
किन किन शब्दों से पिरोऊँ तुमको
चंद पन्नों पे कैसे उकेरूं तुमको
तुमसे जीवन तुम ही जीवन
फिर क्यों खुद में सिमटी तुम
सुनो कुछ खास कुछ अलग हो तुम....
सर्द जाड़े की धूप सी राहत हो तुम
बारिश की बूंदों सी चाहत हो तुम
कभी धाराओं सी हलचल हो तुम
तो झील सी शांत सुकूं हो तुम
जज्बातों का फैला आसमां हो तुम
तो मन की बगिया में प्रीत
का समंदर समेटे हो तुम....
सतरंगी रंगों में ढली
मुस्कुराहटों की सौगात हो तुम
हर आंगन का अभिमान हो तुम
बोझ नहीं सर का ताज हो तुम
सुनो कुछ खास कुछ अलग हो तुम.....