सफर.....
सफर.....
सफर मुश्किल सही सफर से इश्क हो
पगडंडियां पथरीली सही
वादियां धुंध में लिपटी सही
बिन फुहारों वाली बेरंग शाम सही
धीमी धीमी बहती बयार गुमसुम सही
इठलाती मचलती लहरों का शोर खामोश सही
कदम लड़खड़ाये सही
संभलने का जज्बा हो
आंखों में नमी सही
मुस्कुराहटों से यारी हो
सफर मुश्किल सही सफर से इश्क हो.....
शाखों से झड़ते पत्ते सही
नये बहार की दस्तक हो
आसमां दूर सही
उड़ान पे एतबार हो
कारवां संग ना सही
खुद की ताकत बन चलना हो
वक्त कभी खफा खफा सा सही
कोई गिला नहीं....गुजर ही जाना
आसमां मुट्ठी में
गर कोशिशों का सिलसिला हो
सफर मुश्किल सही सफर से इश्क हो.....