अपना आशियाँ बसाने की बेबस कोशिशों में अपना आशियाँ बसाने की बेबस कोशिशों में
हमारा निकम्मापन है हमारा निहित स्वार्थ है हमारा निकम्मापन है हमारा निहित स्वार्थ है
छोटी-छोटी खुशियों की खातिर हमारे वो फिर से कोशिशों में जुट जाते हैं। छोटी-छोटी खुशियों की खातिर हमारे वो फिर से कोशिशों में जुट जाते हैं।
आओ लगालो , जिन्दगी को गले चाहे साथ हमे किसी का मिले ना मिले। आओ लगालो , जिन्दगी को गले चाहे साथ हमे किसी का मिले ना मिले।
अब नहीं मेला - तमाशा भा रहा। मौत का डर विश्व में है छा रहा। अब नहीं मेला - तमाशा भा रहा। मौत का डर विश्व में है छा रहा।
पर परायों ने दिल जीत कर हमें अपना साबित कर दिया। पर परायों ने दिल जीत कर हमें अपना साबित कर दिया।