रिश्तों की हकीकत
रिश्तों की हकीकत
अपनों ने सिखाया कोई अपना नहीं होता।
कोशिशें तो बहुत की हमने
पर कोई हमारी कोशिशों को समझ न पाया।
प्यार दिया हमने सबको
पर कोई उसे लौटा न पाया।
दिख गई जब सबकी सच्चाई
तब अपनों ने भी मुंह मोड़ लिया।
अपनों ने सिखाया कि कोई अपना नहीं होता।
जिसे सबसे ज्यादा सच्चा माना
उसी ने हमको झूठा साबित कर दिया
सीख तो हमें कई बार मिली
पर दिल को यह यकीन नहीं हुआ।
कि अपनों ने सिखाया कोई अपना नहीं होता।
जब अपने ही पराये हो जाए
तो क्या बाकि रह गया
पर परायों ने दिल जीत कर हमें अपना साबित कर दिया।
तब समझ आया कि अपनों से बेहतर पराये होते हैं।
जब कोई अपना हमारे साथ खड़ा न होता,
तब परायों ने हमें अपनाकर हमारा साथ दिया।
कि अपनों ने सिखाया कोई अपना नहीं होता।
दिल से बनाये रिश्तों साबित कर दिया।
दिल की जमीन पर झूठ फरेब नहीं टिकता।
खून के रिश्ते आधुनिक चलन में बोझ बन कर ढोये जाने लगे।
दिल के रिश्तों की सिचाई प्यार और विश्वास से बुनी जाती है।
गाँव में आज तक कभी वृद्धा आश्रम नहीं देखा।
