शिवाय.....
शिवाय.....
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आदि तुम अंत तुम
ऊंकार तुम निराकार तुम
सृजनहार तुम पालनहार तुम
सत्य तुम सुंदर तुम
रौद्र ,सौम्य का संगम तुम
माथे पे गंगा की
शीतल धार लिए तुम
डमरू की थाप पर
तांडव रचते तुम
सबकी पीड़ा हरते तुम
प्रेम भक्ति में डूबे
शिव-शक्ति अर्धनारीश्वर तुम
प्रचंड भी तुम धीर भी तुम
पापों के संहारक तुम
अज्ञानी के ज्ञान तुम
पथिकों के राह तुम
हे शिवाय कण कण में तुम
अंधियारे में दीये की जोत तुम.....