लड़की
लड़की
अँधेरे घर की मुंडेर पर बैठी
तीन साला लड़की
खा रही है आलू रोटी
निडरता उसकी आँखों में है
और साहस ज़बाँ पर
घर के लोग गए हैं काम पर ।
लेकिन उस लड़की
का खुला आसमान
कौन कुंठित आकर छीन लेगा
रौंद डालेगा
उसकी हंसी
उसकी मासूमियत
सुरक्षा की गारंटी
तुम्हारे सभ्य समाज में गायब है ।।
