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Mithilesh kumari

Others

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Mithilesh kumari

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ये आँखे

ये आँखे

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ये आँखे हैं या नशा, किसी अन्जान ख़ूबसूरती का

जिसे देख दिल, खुशफ़हम और मदहोश होता है

बारिश से धरती गमक उठती है जैसे

ये आँखे मुझमें महक भरती हैं वैसे।।


खुशियाँ न होती इस कठिन समय में

अगर ये आँखे न होतीं,

इन आँखों के ही नशे में डूब मैं जीती हूँ

और सत्ता से लड़ने का जूनून पैदा करती हूँ ।। 


हौसला है तेरा चेहरा इस उदास समय में

जूनूं है तेरा चेहरा इस खाक़ ज़िन्दगी में,

तड़प और बेचैनी जहाँ घड़ी घड़ी पसरी है

तेरा चेहरा ही सुकूं की नगरी है।।


तेरा चेहरा अमलतास है

कोई खिला हुआ गुलाब है,

बे-मौसम बहार है    

बाकी जहाँ धूप तू छाँव है।।


जिंदगी कटेगी न अब तुम्हारे बिना

कि अब ये तन्हाई सह नहीं सकते,

तुम जो दूर गए तो रह नहीं सकते।।


मोहब्बत का दर्द और रिश्ता सिखाया है तुम्हीं ने

मेरी धड़कनों को जवाँ बनाया है तुम्हीं ने।। 


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