लड्डू सूरज
लड्डू सूरज
गरम गरम लड्डू सा सूरज,
लिपटा बैठा लाली में,
सुबह सुबह रख आया कौन,
इसे आसमान की थाली में।
मूंदी आँख खोली कलियों ने,
बागों में रंग बिरंगे फूल खिलाए,
चिड़ियों ने नया गान सुनाया,
भंवरों ने पंखों से ताली बजाई।
फुदक फुदक कर रंग बिरंगी,
तितलियों की टोली आई,
पंख फैलाकर मोर ने नाच दिखाएं,
तो कोयल ने भी कूक बजाई।
उठो उठो अब देर ना हो जाए,
कहीं सुबह की रेल निकल न जाए,
अगर सोते रह गए तो,
आगे नहीं बढ़ पाएंगे।