कान्हा
कान्हा
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राधा बोले कान्हा से,हमको नहीं सताना,
पेंग मेरे प्यारे मनमोहन धीमे-धीमे बढ़ाना ,
इस मौसम में अब मत करना हम से तुम तकरार,
डालो झूला सजन मेरे अबकी अमवा की डार।।
जैसे-जैसे झूला कान्हा नभ में उठता जाए,
मेरे मन की धड़कन मेंरा जिया डराए,
अब तो ना मैं झुलूंगी कर दो बेड़ा पार,
अबकी डालो झूला साजन अमवा की डार।।