समझौता जिंदगी से
समझौता जिंदगी से
न जाने क्यों उसमें मुश्किलें आ पड़ी
छूट गया बचपन हालातों में कहीं
वक्त से पहले मैं हो गई बड़ी
जिन नन्हे हाथों में गुड़िया थी कभी
उन हाथों ने जिम्मेदारी की बेड़ियाँ पहन ली
जिन आँखों में उड़ने के सपने थे कभी
उन आँखों ने सपनों से नज़रें फेर ली
छूट गया बचपन हालातों में कहीं
वक्त से पहले मैं हो गई बड़ी
दर्द में देखकर अपनों को बहुत थी तड़पी
कभी रोकर कभी हँसकर हर लड़ाई लड़ी
नाजुक कदमों से काँटों पर चल पड़ी
मिलेगी मंज़िल एक दिन यही सोचा हर घड़ी
छूट गया बचपन हालातों में कहीं
वक्त से पहले मैं हो गई बड़ी
साथ चले कुछ रिश्ते कुछ ने राहें मोड़ ली
संघर्ष था बहुत हर राह पर थी मुसीबतें खड़ी
वक्त बदला उतरी मैं हर इम्तहान में खरी
साथ दिया ईश्वर ने मैंने हर लड़ाई जीत ली
छूट गया बचपन हालातों में कहीं
वक्त से पहले मैं हो गई बड़ी
ख़त्म नहीं हुई अभी संघर्ष की घड़ी
आगे भी राहों में मुश्किलें हैं बड़ी
अपनी हर ग़लती से मैंने सीख ली
हमारे साहस के आगे हर मुश्किल है छोटी
हँसते-हँसाते अब बीते ये ज़िन्दगी
छूट गया बचपन हालातों में कहीं वक्त से पहले मैं हो गई बड़ी