लबों की लाली
लबों की लाली
लबों की लाली इस जिस्म से, ज्यादा वफ़ा करेगी,
छू के देखो इन्हें लबों से, ये तुम्हारे लिए दुआ करेगी।
तड़प इन्हें तेरी चाहत की, तेरे लिए ये खिल के महके,
चूमेगा जो तू इन्हें मदहोशी से, ये तुम्हारे साथ नशा करेगी।
खुले अधर करें इशारा, बंद अधर करें नादानी,
दबे अधरों को जो तुम चख लो, ये तुम्हारे लिए जिया करेगी।
लाल रँग इन लबों पर, तेरे नाम का लगाया,
रँग ले अपने लबों को इनसे, ये तुम्हारे संग भीग जायेगी।
लबों की लाली पर कर भरोसा, जिस्म से ज्यादा तलब है इसमें,
जिस्म फिर भी दगा दे देगा, ये कभी दगा ना करेगी।।

