लौट आएंगे हम..
लौट आएंगे हम..
जब जीत ले जायेगा कोई सब कुछ,
रह जायेगा तब भी "कुछ" थोड़ा सा
अजेय सुनो, हम होंगे उसी "थोड़े कुछ" में !!
जब लगे असहनीय सूरज का तप भी,
हम बादल बन छाएंगे, बरस जाएंगे..
पहचान लेना बूंदों में ही !!
जब टूट जाएगी डोर सभी पतंगों की,
हम अदृश्य से थाम लेंगे हवाओं में ही
सांस बनकर !!
जब लील जायेगी प्रलय ये हरियाली,
दूर कहीं मिट्टी में दूब-घास से सुनो,
हम होंगे किसी एक तिनके में !!
