क्योंकि लड़के रोते नहीं
क्योंकि लड़के रोते नहीं
क्योंकि लड़के रोते नहीं बेवजह आँसू खोते नहीं।
स्नेहमय संसार में नफ़रत के बीज कभी बोते नहीं।।
दिलोजान से चाहने वाली लड़की की खातिर खुद को बरबाद किया।
प्यार के बदले लड़की ने तन्हा-बेबस छोड़ हमें इतना दुख-दर्द दिया।।
फिर भी उसे कसूरवार न कहकर सारा इल्जाम अपने ही सिर लिया।
मुहब्बत में सब कुछ गँवा कर खुद को भी केवल उसी के नाम किया।।
आज मंगल के शुभ दिवस पर मेरे साथ ये आखिर कैसा अशुभ हुआ।
मुझे अकेला छोड़ मेरा पहला एकतरफ़ा प्यार मुझसे कैसे दूर हुआ।।
ये अनहोनी भला मैं कैसे बर्दाश्त कर पाऊंगा।
सच कहता हूँ जीते जी ही मैं तो मर जाऊंगा।।
मैं कभी इतना कमज़ोर-बुज़दिल नहीं रहा।
प्रेम में इतना दर्द आज से पहले मैंने नहीं सहा।।
मेरे दिल के टुकड़े करके तुम्हारा इस तरह चले जाना तुम्हें बिल्कुल ना रास आएगा।
इतना चाहने वाला सच्चा प्रेमी छोड़कर केवल पछतावा ही तुम्हारे हाथ आएगा।।
मुझे परमात्मा पर है पूर्ण विश्वास।
एक दिन अवश्य पूरी होगी आस।।
मैं बन कर रहूँगा तुम्हारे लिए खास।
हर क्षण करता हूँ मैं यही अरदास।।
आँखों में बसे केवल तुम्हारे ही प्यार को कम होने न दूँगा।
क्योंकि लड़के रोते नहीं इसलिए जीते जी बहुत कुछ सहूँगा।।
