क्यों रूठा है ज़िंदगी से ! ...
क्यों रूठा है ज़िंदगी से ! ...
क्यों रूठा है ज़िंदगी से !
आज नुकसान तो कल नफ़ा है ..
ये जो आंखो में नमी आ गई ,
तूफ़ान नहीं ये तो बस हवा है ..
पलकों से अभी आंसू गिरा भी नहीं ,
और मायूस इतना ,
के मानो सारे ज़माने का दर्द सहा है
मोहब्बत किस्मत में ना थी तो क्या हुआ !
कमस कम मोहब्बत के ऐहसास को तो छुआ है ..
अब जो किसी बात का बुरा भी लग जाए तो ,
बैठ कर रोएंगे,रूठेंगे,मनाएंगे खुदको
और पूंछेगे खुद से ,
क्यों रोता है पागल ?
" तुझे क्या हुआ है " ..
तन्हा ही तो हुए है ना दोस्त ,
कौनसा ये पहली दफा है !
