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Preshit Gajbhiye

Tragedy

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Preshit Gajbhiye

Tragedy

क्यों रूठा है ज़िंदगी से ! ...

क्यों रूठा है ज़िंदगी से ! ...

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क्यों रूठा है ज़िंदगी से ! 

आज नुकसान तो कल नफ़ा है ..

ये जो आंखो में नमी आ गई ,

तूफ़ान नहीं ये तो बस हवा है ..


पलकों से अभी आंसू गिरा भी नहीं ,

और मायूस इतना , 

के मानो सारे ज़माने का दर्द सहा है 

मोहब्बत किस्मत में ना थी तो क्या हुआ !

कमस कम मोहब्बत के ऐहसास को तो छुआ है ..


अब जो किसी बात का बुरा भी लग जाए तो ,

बैठ कर रोएंगे,रूठेंगे,मनाएंगे खुदको 

और पूंछेगे खुद से ,

क्यों रोता है पागल ?

" तुझे क्या हुआ है " ..

तन्हा ही तो हुए है ना दोस्त ,

कौनसा ये पहली दफा है !


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