क्यों रोना
क्यों रोना


कोरोना तुम्हारी याद भुलाई नहीं जाती।
वो तुमने लगाई आग बुझाई नहीं जा सकती।।
कुछ लक्षण दिये एसे, जो कभी सोचा भी न था।
खौफ दिया ऐसा जो कभी सपनों में भी न था।
हर बात दहशत की बतलाई नहीं जा सकती।।
आँखों ने सिर्फ देखा वो खौफनाक मंजर।
मन में ऐसा समाया दिल, बेचैन बाहर -अंदर।
हृदय से अपनी व्यथा अब सुनाई नहीं जा सकती।।
अब तो सिर्फ इतनी ही गुज़ारिश है मेरे दोस्तों।
हिम्मत और दिमाग से बस एहतियात है बरतो।
खौफ़ में रहकर जिन्दगी बिताई नहीं जा सकती।।
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कोई भी ऐसी मुसीबत, जिसका हो न कोई रास्ता।
अगर है हौसला तो निश्चित निकलेगा इसका रास्ता।
अविश्वास से कभी भी कोई जंग जीती नहीं जा
सकती।।
अमल करो उस पर जो सरकार ने बताये रास्ते।
मिल-जुल कर सहयोग तू अपने जीवन के वास्ते।
कहने और न करने से यह महामारी भगाई नहीं
जा सकती ।।
हमें हर हाल में तूफ़ान से महफूज़ रखेगी।
छ्तें मजबूत होतीं हैं उम्मीदों के मकानों की।
मेरे प्रिय देश-वासियों डर से किसी बीमारी को
भगाई नहीं जा सकती ।।