Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Brajendranath Mishra

Romance

4  

Brajendranath Mishra

Romance

क्यों आई हूँ ये बता दे साथी

क्यों आई हूँ ये बता दे साथी

2 mins
387


मैं क्यों आयी हूँ, ये बता दे साथी


मैं ही दर्द हूँ, मैं ही जलन हूँ

मैं ही नींद हूँ,  मैं ही सपन हूँ।

मैं ही जिश्म हूँ, मैं ही हूँ तड़पन,

मैं ही जान हूँ, मैं ही चुभन हूँ।

इस दर्द की कोई दवा  दे साथी।

मैं क्यो आयी हूँ, ये  बता दे साथी।


मैं ही बिस्तर हूँ, मैं ही निंदिया हूँ।।

मैं ही सूरत हूँ, मैं ही बिंदिया हूँ।

मैं बह ना सकी अपने गुमान में

मैं निश्चल, ठहरी हुई एक नदिया हूँ।


इस नदिया को फिर से बहा दे साथी।

मैं क्यों आयी हूँ, ये  बता दे साथी।


मैं ही आँगन हूँ, मैं ही धूल हूँ।

मैं ही डाली भी हूँ, मैं ही फूल हूँ।

मैं ही हूँ हरियाली, पत्तियों की

मैं ही रास्ते में पड़ी हुई शूल हूँ।


इस शूल को समूल मिटा दे साथी।

मैं क्यों आयी हूँ ये बता दे साथी।


मैं ही ईंट हूँ, मैं ही मकान हूँ।

मैं हवा भी हूँ, मैं ही तूफान हूँ।

मैं ही हूँ पतंग की डोर थामे हुए

अजनबी के लिए इक पहचान हूँ।


इस पहचान को गहरा बना दे साथी।

मैं क्यों आयी हूँ, ये बता दे साथी।


मैं ही स्वर हूँ, मैं ही गीत हूँ।

मैं ही तार हूँ, मैं ही संगीत हूँ।

मैं न खींची गयी हूँ हद से ज्यादा

इसलिए मैं ही, बन गयी प्रीत हूँ।


इस प्रीत की रीत निभा दे साथी।

मैं क्यों आयी हूँ ये बता दे साथी।


गान ज्यों मिल रहे हैं महागान से।

ज्ञान ज्यों मिल रहे हैं,  महाज्ञान से।

व्यष्टि भी मिल रहा है महासमष्टि से

जैसे प्राण मिल रहे हों,  महाप्राण से।


यही है जीवन का सच जान ले साथी।

ये  बताने आयी हूँ,   जान ले साथी।


मैं क्यों आयी हूँ, ये जान  ले साथी।

मैं क्यों आयी हूं, ये जान ले  साथी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance