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Brajendranath Mishra

Inspirational

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Brajendranath Mishra

Inspirational

भूख को आंतों में छुपा सो गया

भूख को आंतों में छुपा सो गया

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भूख को आन्तों में छुपाकर सो गया।

उम्मीदों  को फिर से  जगाकर सो  गया।


कल की फिकर, मैंने कल पर छोड़ दी

आज नारों में ही बहलाकर सो गया।


लोग विवाद करते रहे भूख मिटाने को,

मैं वह मंजर आंखों में बसाकर सो गया।


वे भूखों को जगाने को तख्तियां ले फिरते रहे,

मैं कूड़ेदान में पड़ी रोटियां सटाकर सो गया।


दुनिया में भूखों की जमात अब बढ़ रही है,

अब इन्कलाब आयेगा,  समझाकर सो गया।


विरासत की सियासत में भी भूखे रोल में होंगे,

मैं विदूषक मंच पर सबको  हंसाकर सो गया।


भूखे ही भूख से दिलाएंगे निजात भूखों को,

दिल-ए-शौक को दिलासा दिलाकर सो गया।


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