क्या यही प्यार है
क्या यही प्यार है
गीत
क्यायही प्यार है
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आँखों के आगे मतलब की,
खड़ी हुई दीवार सुनो,
क्या यही प्यार है
मुंह में राम बगल में छुरी,
कैसा ये व्यापार सुनो,
क्या यही प्यार है।
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मांग रहा है बंटवारा तो,
गले लगाता है क्यों कर
टांगें हरपल खींच रहा तो,
हाथ मिलाता है क्यों कर
खून का रिश्ता ऐसा होता,
बोलो कहाँ समर्पण है
अपनापन सब हवा हो गया,
मैला मन का दर्पण है
अनसुलझे ये प्रश्न खड़े सब,
क्या समझें बेकार सुनो,
क्या यही प्यार है
आंखों के आगे मतलब की,
खड़ी हुई दीवार सुनो,
क्या यही प्यार है
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पीहर जाकर बैठ गयी वो,
काली रातें रोती हैं
रात रात भर आंसू की ही,
बरसातें बस होती हैं
कसमें खाई थी सुख दुःख में,
साथ रहेंगे जनम जनम
कहा सुनी क्या हुई जरा सी,
निकल गया वादों का दम
क्यों मिट्टी सा बिखर गया है,
स्नेहसिक्त संसार सुनो,
क्या यही प्यार है
आँखों के आगे मतलब की,
खड़ी हुई दीवार सुनो,
क्या यही प्यार रहे हैं
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"अनंत "माँ के कदमों में गर,
स्वर्ग मानता इज्जत कर
मत सामान पुराना माँ को,
समझ न कर घर के बाहर
पिता तेरा सर्वस्व लुटा कर,
धन दौलत तुझ पे निर्भर
घर से तूने उसे निकाला,
और कर दिया है बेघर
मात पिता का किया कराया,
भूला तू मक्कार सुनो,
क्या यही प्यार है
आँखों के आगे मतलब की,
खड़ी हुई दीवार सुनो,
क्या यही प्यार है।
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अख्तर अली शाह "अनन्त"नीमच
