क्या वह लड़की हैं...!
क्या वह लड़की हैं...!
जिसे देखकर बहुत ख़ुशी होती है
जिसे याद करके आँखें सोती हैं
जिसकी मुस्कान दिल को तसल्ली देती है
क्या वह लड़की है?
जिसकी यादों में मैं ख़्वाब बुनता हूँ
सारी रात आसमां में तारे गिनता हुँ
अपनी ही गली में अपने आपसे मिलता हूँ
जो ग़म में भी मुझे संभाल लेती है
क्या वह लड़की हैं?
जो मुझे जानती है
भली-भाँति पहचानती है
अपना सबकुछ मानती है
मुझपे जानिसार करती है
दिल से ऐतबार करती है
बेपनाह प्यार करती है
क्या वह लड़की है?

