क्या से क्या बन गये हो तुम
क्या से क्या बन गये हो तुम
अपनों से दुश्मनी
गैरों से दोस्ती,
कैसा मुखौटा पहने हो तुम ?
सेना पर गर्व नहीं
आंकड़ों के खेल में उलझे
कैसे बने देशद्रोही तुम ?
शहीदों के शवों पर नहीं
आतंकियों पर मातम मनाते
कैसे भारतवासी हो तुम ?
ज़रा देखो आईने में चेहरा अपना
नहीं पहचान पाओगे स्वयं को
क्या से क्या बन गये हो तुम?
रोप दिया है रक्तबीज
तुमने अपनी करतूतों से
पछताओगे अवश्य एक दिन तुम !!