क्या नहीं होती?
क्या नहीं होती?
गुन्हाखोरी से बड़ी कोई आलम नहीं होती,
सुख चैन से बिना कोई जिंदगी नहीं होती।
नफ़रत से बड़ी कोई आग नहीं होती,
विरह से बड़ी कोई करुणा नहीं होती।
प्यार से पवित्र कोई चीज नहीं होती,
बेवफ़ाई से हल्की कोई चीज नहीं होती।
संस्कारों से बड़ी कोई वसीयत नहीं होती,
ईमानदारी से बड़ी कोई विरासत नहीं होती।
दान पुण्य से बड़ी कोई महिमा नहीं होती,
त्याग से बड़ी कोई भावनाएं नहीं होती।
पिता जैसी बड़ी को छाया नहीं होती, और "मुरली",
माँ जैसी दुनिया में कोई ममता नहीं होती।
