कीमती
कीमती
बाग बगीचे ये तो बस नाम हैं
फुलवारी तुम कहाँ ढूंढोगे
ये तो जिंदगी हैं साहब
इसमें खुशियाँ कब ढूंढोगे
कब तक निकलती रहेगी जिंदगी तुम्हारी
किसी की जिंदगी में तुम्हारी जिंदगी कब ढूंढोगे
संवारते रहोगे कब तक खुद को
दुनिया को तुम कब संवारेंगे
ये उम्र बहुत छोटी है साहब
इसे कब तक बेवजह उढ़ाओगे
कहने को तो न दिन न रात छोटी
शब्दों को मिलाओ तो कोई बात न छोटी
कहते कहते कब तक कह पाओगे
उम्र निकल जायेगी तेरी
खुद को तराश कर खुद को हीरा कब बनाओगे !!!
