किस्मत मौका और धोखा देती है
किस्मत मौका और धोखा देती है
हर सुबह के पहले रात आता है
हर उजाले के पहले अंधेरा आता हैं
किस्मत चमकने वालों के लिए क्या रात क्या सुबह होता हैं
बाजी जीत जाते हैं वो जो हर वक्त मैदान में खड़ा होता हैं
आज किस्मत के भरोसे बैठने के साथ मेहनत भी चला रहे हैं
पर आज भी किस्मत से ही अपना रिश्ता बना रहे हैं
हाथों की लकीरों को देखे तो सुनहरा जीवन नजर आता हैं
मेहनत की सीढ़ी में पैर के जख्म खा जाता हैं
अब किस्मत की लड़ाई में सब हारे हुए हैं
मेहनत उसकी भी आज जारी हैं जो अपनी किस्मत पर रोए हुए हैं
भूल जाये किस्मत/भाग्य/सौभाग्य की बाते
क्योंकि मेहनत किस्मत /भाग्य/ सौभाग्य बना रही हैं
छोड़ दो हाथों की लकीरों को गुनना
क्योंकि जिसके हाथ नहीं वो भी इतिहास के सुनहरे/सुंदर पन्नों पर अपना नाम रचा रहे हैं
एक विख्यात/ सुप्रसिद्ध बनकर अपना चर्चा देश भर में चला रहे हैं!!!