मेरे हमसफर
मेरे हमसफर
प्रेम में डूब जाओ तो सब अपना लगे
मोहक वो मिलन का दृश्य सपना लगे
आँखों में उसकी मेरी सूरत छपे
सच कहु मुझे वो बड़ा प्यारा लगे
खुबसुरती की तारीफ़ क्या करू मैं उसकी
मैं तो उसके सावाले रंग की दिवानी हूँ
नहीं कोई कान्हा वो मुरली वाला
पर मैं उसकी दीवानी हूँ
जिम्मेदारिया वो भी निभा रहा हैं
फिर भी वो मुझे सम्भाले रखा हैं
पर्वत को उठाने वाला कोई ईश्वर नहीं
पर वो सबके हृदय में अपना स्थान बना रखा हैं
सब को अपना कहने वाला वो मेरा हैं
सबको मान , सम्मान देने वाला वो मेरा हैं
मैं उसकी काबिलियत की क्या तारीफ़ करू
क्योकि उसी की बदौलत तो हम कवि शायर हूँ
मैं भी कल को अंजान कोई लड़की थी
किसी की नहीं थी पर किसी के लिए जरूर थी
आज उसकी हमदर्दी उसकी प्रेम उसके जज्बात से रूबरू हो गई
मुझे मिला वो हमसफर जिसकी दीवानी मैं बरसो के लिए हो गई
क्या जमाना मुझे उससे दूर करेगा
उसकी आँखों की आशु जमाना को रुला देगी
मेरी मोहब्बत में इतनी ताकत हैं कि
किसी रोते व्यक्ति को भी हसा देगा
एक तड़प मेरे दिल में हैं
पीड़ा जैसे राम नाम की हैं
एक सपना मेरा हैं उसे पाने की,खुशियाँ देने की
दो न होकर हम एक कहलाये
एक की पीड़ा दोनों से सह जाए
साथ हो तो ऐसा
जैसे हमारा नाम याद आ जाये
कहानी की किरदार नहीं पर
अपने आप को तुझे सौप दु
मेरी जिंदगी अब तुम्हारे नाम हैं
ये कह कर दुनिया को छोड़ दु
जिंदगी तो सभी जी लेते है
मगर उस जिंदगी मे हम सफर भी होना चाहिए
जैसे आये हैं वैसे चले जायेंगे हम
मगर जिंदगी हैं तब तक अपनी खुशियाँ किसी में ढुंढना चाहिए
यू तो प्रेम के दिवाने हैं हम
मगर दिलदार प्रेम दीवाना होना चाहिए
मुझे बड़े बड़े तोफे न दे मगर
वो मुझे खुशियाँ अपने जैसा देना चाहिए
मैं उसकी अब जिक्र क्या करू
भावनाओं को शब्दो में पिरोना आसान नहीं
मैं बनी उसकी जिंदगी का हिस्सा
अब ये जिंदगी मैंने उसी के नाम कर दी !