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Anuradha Kumari

Action Others

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Anuradha Kumari

Action Others

मेरी चाहत

मेरी चाहत

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तुम्हें जब से जाना अब रहा न कोई

माना न किसी को अपना न डर कोई

तुम जब से मुझमें सम्मिलित हो

मुझे तुम्हारा दरस सदा आंखों में परवर्र हो।


दुख सुख के इस जगत में 

जब भी जहां भी मुझे अपना लोगे

जन्म जन्म तक ए जाने जाना 

हम भी तेरी दुनिया बसा देंगे।


है मालूम मुझे चाहत तुझे भी है 

अपना लो मुझे क्यों ठुकराते हो

अपने योग्य कर लो मुझे मेरी चाहत को समझ के।



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