स्वतः...
स्वतः...
मेरे अंतर्मन में
स्वतः ये विचार
प्रकट हुआ करता है
कि मेरा परिचय क्या है...!
क्या मैं केवल देह मात्र हूँ
या एक व्यक्तित्व का मूलाधार हूँ ?
मैं यही सोचता फिरता हूँ
कि वास्तविक स्थिति में
क्या मैं स्वयं से स्वयं को
विश्वास से जोड़ने के प्रयास में
सफल हुआ करता हूँ...!
